Representative image for Income Tax.  Read more at: https://www.deccanherald.com/india/two-key-tax-bills-passed-in-lok-sabha-without-debate-2-3675783


Introduction (परिचय)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल 2025 पेश करके भारतीय टैक्स प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव की नींव रखी है। यह बिल सिर्फ एक मामूली समायोजन नहीं है, बल्कि 1961 के पुराने और जटिल आयकर कानून को पूरी तरह से बदलने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है।

इस new income tax bill का मुख्य उद्देश्य टैक्स कानूनों को सरल बनाना, पारदर्शिता बढ़ाना और आम करदाताओं के लिए नियमों को आसान बनाना है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसका आपकी जेब पर क्या असर पड़ेगा?

इस विस्तृत विश्लेषण में, हम इस बिल के हर पहलू को समझेंगे - टैक्स स्लैब में बदलाव से लेकर आपकी सैलरी, बचत और निवेश पर इसके सीधे प्रभाव तक।

New Income Tax Bill 2025 की 5 मुख्य बातें

आइए सबसे पहले जानते हैं इस बिल के 5 सबसे बड़े और महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में।

1. टैक्स स्लैब में बड़ी राहत (New Tax Slabs)

नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) के तहत टैक्स स्लैब को बदल दिया गया है, जिससे मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिली है।

  • ₹4 लाख तक: शून्य टैक्स
  • ₹4 लाख से ₹8 लाख तक: 5%
  • ₹8 लाख से ₹12 लाख तक: 10%
  • ₹12 लाख से ₹16 लाख तक: 15%
  • ₹16 लाख से ₹20 लाख तक: 20%
  • ₹20 लाख से ₹24 लाख तक: 25%
  • ₹24 लाख से ऊपर: 30%

2. ₹12.75 लाख तक की सैलरी पर ZERO टैक्स

इस बिल का सबसे बड़ा तोहफा यही है। नई रिजीम में, ₹12 लाख तक की कर योग्य आय (taxable income) पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा (धारा 87A के तहत छूट)।

वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए, ₹75,000 के नए स्टैंडर्ड डिडक्शन को मिलाकर, ₹12.75 लाख तक की कुल सैलरी पर शून्य टैक्स देना होगा।

3. स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी (Standard Deduction Increased)

नई टैक्स रिजीम को और आकर्षक बनाने के लिए, वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया गया है। पुरानी रिजीम में यह ₹50,000 ही रहेगा।

4. निवेशकों पर बढ़ा टैक्स का बोझ (Capital Gains Tax Increased)

जहाँ वेतनभोगी वर्ग को राहत मिली है, वहीं निवेशकों पर टैक्स का बोझ बढ़ाया गया है।

  • शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG): शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर STCG टैक्स को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया है।

  • लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG): LTCG टैक्स को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया है। हालांकि, टैक्स-फ्री छूट की सीमा ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.25 लाख कर दी गई है।

5. Section 80C में कोई बदलाव नहीं

लंबे समय से चली आ रही मांग के बावजूद, सेक्शन 80C के तहत मिलने वाली ₹1.5 लाख की कटौती की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह कटौती सिर्फ पुरानी टैक्स रिजीम में ही उपलब्ध है।

विश्लेषण: आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?

यह बिल स्पष्ट रूप से सरकार की दोहरी रणनीति को दर्शाता है: वेतनभोगी वर्ग को राहत देना और निवेशकों पर टैक्स बढ़ाना।

नौकरीपेशा लोगों के लिए (For Salaried Individuals):

यह बिल एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। ₹15-20 लाख तक की आय वाले ज़्यादातर लोगों के लिए नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) अब पुरानी रिजीम से कहीं ज़्यादा फायदेमंद होगी। उनके हाथ में अब ज़्यादा पैसा आएगा, जिससे खपत को बढ़ावा मिल सकता है।

उदाहरण: ₹15 लाख की सैलरी पर कितनी बचत? अगर आपकी सैलरी ₹15 लाख है और आप पहले 80C के तहत ₹1.5 लाख की पूरी कटौती लेते थे, तो भी नई रिजीम में आने पर आपको सालाना ₹1 लाख से ज़्यादा की टैक्स बचत हो सकती है।

निवेशकों के लिए (For Investors):

यह बिल निवेशकों के लिए एक नई चुनौती है। अब उन्हें अपने निवेश पर मिलने वाले रिटर्न का हिसाब फिर से लगाना होगा।

  • शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स: 15% की जगह 20% टैक्स लगने से उनका मुनाफा सीधे तौर पर कम हो जाएगा।

  • लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स: 10% की जगह 12.5% LTCG टैक्स लगने से लंबी अवधि में बनने वाली संपत्ति पर भी असर पड़ेगा। (ELSS जैसे में निवेश करने वालों को भी अब ज़्यादा टैक्स देना होगा।)

पुरानी रिजीम vs. नई रिजीम: आपको क्या चुनना चाहिए?

यह फैसला आपकी कुल आय और कटौतियों (deductions) पर निर्भर करता है।

  • नई रिजीम चुनें अगर: आपकी आय ₹15-20 लाख तक है और आप मुख्य रूप से सिर्फ Section 80C (₹1.5 लाख) और स्टैंडर्ड डिडक्शन का ही लाभ लेते हैं।

  • पुरानी रिजीम चुनें अगर: आपकी कुल कटौतियां (होम लोन का ब्याज, HRA, 80C, 80D आदि मिलाकर) ₹3.5 लाख से ₹4 लाख प्रति वर्ष से ज़्यादा हैं।

बिल का भविष्य: आगे क्या होगा?

लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल पास हो चुका है। अब यह राज्यसभा में जाएगा। चूँकि यह एक 'मनी बिल' है, राज्यसभा इसे रोक नहीं सकती। राज्यसभा की सिफारिशों के बाद और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह एक कानून बन जाएगा।

यह नया कानून 1 अप्रैल, 2025 से लागू होने की उम्मीद है।

Conclusion (निष्कर्ष)

यह new income tax bill 2025 भारतीय टैक्स सिस्टम में एक बड़ा बदलाव है। यह मध्यम वर्ग के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, लेकिन निवेशकों के लिए थोड़ी चिंता भी। यह बिल स्पष्ट रूप से खपत को बढ़ावा देने और टैक्स प्रणाली को सरल बनाने की सरकार की नीति को दर्शाता है।

सभी करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपनी आय और निवेश के आधार पर दोनों रिजीम की गणना करें और अपने लिए सबसे फायदेमंद रास्ता चुनें।